क्या अजमेर में कांग्रेस की दुर्गति के लिए स्वयं पायलट जिम्मेदार है
पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव में अजमेर जिले में कांग्रेस का पूरी तरह
सूपड़ा साफ हो गया है। कांग्रेस के लिए अजमेर इसलिए महत्त्वपूर्ण है,
क्योंकि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट यहां के सांसद रह
चुके हैं, गत लोकसभा का चुनाव भी पायलट ने अजमेर से ही लड़ा था, लेकिन वे
हार गए। पार्टी के किसी भी प्रदेश अध्यक्ष से यह उम्मीद की जाती है कि कम
से कम अपने गृह जिले में तो पार्टी को मजबूत रखे, लेकिन पंचायत चुनाव
में जिले की सभी 9 पंचायत समितियों में कांग्रेस को बुरी तरह हार का सामना
करना पड़ा। यहां तक कि एक भी पंचायत समिति में कांग्रेस अपना उपप्रधान तक
नहीं बनवा सकी। कांग्रेस की दुर्गति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि
जिला प्रमुख के चुनाव में कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार ही खड़ा नहीं किया।
फलस्वरूप भाजपा की उम्मीदवार वंदना नोगिया निर्विरोध जिला प्रमुख बन गई।
असल में कांग्रेस के पास जिला प्रमुख का पात्र उम्मीदवार ही नहीं था। इस
बार जिला प्रमुख का पद एससी महिला के लिए आरक्षित था, लेकिन कांग्रेस की ओर
से कोई भी एससी महिला जिला परिषद के सदस्य का चुनाव ही नहीं जीती। इससे भी
अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पायलट के
गृह जिले में कांग्रेस का बंटाधार हो गया है। असल में अजमेर में कांग्रेस
संगठन की दुर्दशा के लिए स्वयं पायलट ही जिम्मेदार है। पंचायत चुनाव के लिए
पायलट ने अजमेर में किसी भी कांग्रेस नेता को जिम्मेदारी नहीं दी है।
पायलट के अविवेकपूर्ण फैसलों से जिले के कांग्रेस के नेता अलग-अलग गुटों
में बंटे हुए हैं। पायलट की वजह से ही जिले के कांग्रेसी एकजुट नहीं हो
पाते है। उपजिला प्रमुख के चुनाव में कांग्रेस की ओर से तीसरी और चौथी लाइन
के नेता सौरभ बजाड़ और बीरम सिंह ही मशक्कत करते नजर आए। हालांकि उपचुनाव
में कांग्रेसी उम्मीदवार को सभी 9 सदस्यों के वोट मिल गए, लेकिन रघु शर्मा,
नसीम अख्तर, ब्रह्मदेव कुमावत जैसे नेता कहीं नजर नहीं आए। देहात कांग्रेस
कमेटी के अध्यक्ष नाथूराम सिनोदिया को हटाने के संकेत पालयट ने दे रखे
हैं, लेकिन सिनोदिया को अधरझूल में लटका रखा है। इसलिए पंचायत चुनाव में
सिनोदिया ने देहात अध्यक्ष की हैसियत से कोई सक्रिय भूमिका नहीं निभाई। शहर
कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के पद पर पायलट ने अभी तक भी नियुक्ति नहीं की
है। निवर्तमान अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता को प्रदेश सचिव बना दिया है,
ऐसे में अब रलावता की भी अजमेर संगठन में कोई रुचि नहीं है। पंचायत चुनाव
में रलावता को करौली का प्रभारी बनाकर अजमेर से बाहर भेज दिया गया। इसी
प्रकार नगर निगम के मेयर कमल बाकोलिया को सवाई माधोपुर का प्रभारी बनाकर
अजमेर की चुनावी राजनीति से दूर रखा गया। पायलट ने जब गत लोकसभा का चुनाव
अजमेर से लड़ा था, तब सभी कांग्रेस नेताओं को एक जाजम पर बैठाकर मतभेदों को
दूर करवाया गया, लेकिन पंचायत चुनाव में पायलट ने नेताओं को एकजुट करने का
कोई प्रयास नहीं किया। अजमेर में कांग्रेस की इतनी दुर्गति होने का जवाब
भी सचिन पायलट को ही देना है। चूंकि पायलट की सोनिया गांधी और राहुल गांधी
तक सीधी अप्रोच है, इसलिए अजमेर के किसी भी कांग्रेसी नेता की हिम्मत पायलट
से सवाल जवाब करने की नहीं होती है।
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