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Sunday 1 February 2015

1000 पेड़ रोज लील रही है अवैध आरामशीनें
सर्वोच्च न्यायालय की आदेशों की उड़ रही धज्जियां, वैध से अवैध ज्यादा
अजमेर को हेरिटेज व स्मार्ट सिटी बनाने का सपना धूमिल कर रही अवैध आरामशीनें
अजमेर। अजमेर जिले मंे 300 के लगभग अवैध आरामशीनें सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए वन, पुलिस व जिला प्रशासन की ढिलाई व घोर लापरवाही के चलते अवैध आरामशीनें 1000 के लगभग हरे पेड़ों को रोज काटकर लील रही है, जो अजमेर को हेरिटेज व स्मार्ट सिटी बनाने के सपने को धूमिल करने का काम रही है।
पीपुल फॉर एनीमल्स के प्रदेश प्रभारी बाबूलाल जाजू व पी.एफ.ए. व इन्टैक के संयोजक महेन्द्र विक्रमसिंह ने प्रेस वार्ता के दौरान कर बताया कि अजमेर जिले मंे प्रमाणित तथ्यों के अनुसार 156 वैध व 280 अवैध आरामशीनें दिनरात पेड़ों को काटकर पर्यावरण को पलीता लगा रही है। जिला कलेक्टर की अध्यक्षता मंे गठित समिति मंे जिला वन अधिकारी, पुलिस अधीक्षक, अधिशाषी अभियन्ता विद्युत निगम तथा जिला उद्योग अधिकारी हैं, जिनकी जिम्मेदारी है कि वे सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार अवैध आरामशीनें नहीं चलने दे। राज्य के वन सचिव ने इस आदेश की पालना मंे 30 सितम्बर 2002 को आदेश जारी कर जिला कलक्टर व डीएफओ को निर्देशित भी किया था कि आदेशांे की पालना सख्ती से हो तथा अवैध आरामशीनों को हर हाल मंे बंद किया जाना चाहिए। बावजूद इसके अवैध आरामशीनें चल रही है। जिससे अजमेर जिले की हरियाली को गंभीर खतरा बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते अजमेर को हेरिटेज व स्मार्ट सिटी बनाने की प्रधानमंत्री की योजना धूमिल होती नजर आ रही है। जाजू ने बताया कि अजमेर के कुल भौगोलिक क्षेत्र 8481 किमी मंे से वन क्षेत्र मात्र 618.44 वर्ग किमी ही है जो भौगोलिक क्षेत्र का 7.29 प्रतिशत है। इसमंे से भी वनावरण भौगोलिक क्षेत्रफल 3.27 प्रतिशत ही है जो अत्यधिक चिंताजनक है। जाजू ने बताया कि उदयपुर मंे वनावरण क्षेत्र 23.24 प्रतिशत है।
जाजू ने जिला कलेक्टर व वन अधिकारी का ध्यान आकृष्ठ करते हुए कहा कि अवैध आरामशीनों का संचालन पूर्ण बंद कर अवैध आरामशीनों को जब्त करने की कार्यवाही अमल मंे लाकर वैध आरामशीनों पर सरकार की छूट के अनुसार वाले पेेड़ों को ही काटा जाना चाहिए व नियमानुसार किस व्यक्ति की कितने घन मीटर किस प्रजाति की लकड़ी चीरी गई, इसका पूर्ण ब्योरा भी रखा जाना चाहिए, जो भ्रष्टाचार के चलते नहीं रखा जा रहा है।

प्रशासन झीलांे, जंगलांे व पहाड़ियों को बचाने के लिए गम्भीर हो
पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू ने जिला प्रशासन व शहर के स्वयंसेवी संगठनों व गणमान्य नागरिकगणें का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि अजमेर जिले को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हेरिटेज व स्मार्ट सिटी बनाने की योजना को साकार रूप देने के लिए जिले के तालाब, झीलों, जंगलों व पहाड़ियों के संरक्षण के लिये गम्भीर होने की आवश्यकता है। पूर्व मंे अजमेर जिले की महत्वपूर्ण तारागढ़, दाता नगर व घंूघरा घाटी की पहाड़ियों को काटकर नियमविरूद्ध बस्तियां बना दी गई, जो विश्वप्रसिद्ध अजमेर की सुन्दरता को नष्ट करने के साथ ही प्राकृतिक धरोहरांे का प्रशासन की घोर अनदेखी से विकास के नाम पर विनाश कर दिया है। जाजू ने कहा कि पुष्कर सहित संपूर्ण अजमेर जिले मंे पॉलिथिन व डिस्पोजेबल सामग्री की बिक्री व क्रय-विक्रय पर सख्ती से रोक लगाकर शहर को कचरा, सड़ांधमुक्त बनाने से रोकना भी आवश्यक है।

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