महज एक हजार टेबलेट के भरोसे स्वाइन फ्लू से जंग
अजमेर। अजमेर
जिले में सरकार टेमीफ्लू की मात्र 1000 टेबलेट्स और बच्चों को पिलाए जाने
वाले टेमीफ्लू सीरप की 35 बोतलों के भरोसे स्वाइन फ्लू से जंग लड़ रही है।
एक मात्र बड़े सेटेलाइट अस्पताल में तो टेमीफ्लू 75 एमजी की टेबलेट है ही
नहीं। जिले में स्वाइन फ्लू की स्थिति गंभीर है। एक पखवाड़े में 22 मरीज
सामने आ चुके हैं। जिसमें से चार की अब तक मौत हो चुकी है।
स्वाइन फ्लू मरीजों को स्वास्थ्य लाभ देना तो दूर संदेह के घेरे में आ
रहे मरीजों को दी जाने वाली टेमीफ्लू टेबलेट तक उपलब्ध करवाने में नाकाम
साबित हो रहा है। बताया जा रहा है कि दवाओं की नई खेप 6 फरवरी तक आ सकती
है। इधर, जेएलएन अस्पताल में मरीजों के आने का क्रम बना हुआ है। शनिवार को
ही तीन मरीज पॉजीटिव आए हैं।
स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए सरकार की तैयारियों की शनिवार को भास्कर ने ग्राउंड रिअलिटी जांची तो हैरान कर देने वाली लापरवाहियां सामने आईं। जिले में स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए चिकित्सा महकमें की तैयारियां महज कागजी और जुबानी जमाखर्च से आगे नहीं बढ़ पाई हैं।
स्वाइन फ्लू का प्रकोप बढ़ने के बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने जिले में इनफ्लूएंजा ए (एच-1 एन-1) रोग की रोकथाम उपचार एवं नियंत्रण के लिए हाई अलर्ट जारी किया। इस रोग की रोकथाम के लिए गाइड लाइन भी जारी की, लेकिन व्यवस्थाएं कागजी ही नजर आ रही हैं। रेपिड रेस्पॉन्स टीम भी कागजों में ही है।
टेमीफ्लू-75 एमजी ही नहीं हैं अस्पताल में: सेटेलाइट अस्पताल में वयस्क स्वाइन फ्लू रोगी और छोटे बच्चों के लिए टेमीफ्लू
टेबलेट व सीरप ही नहीं है। डॉ. हेड़ा ने बताया कि जिन मरीजों को टेमीफ्लू-75 एमजी देनी होती है उन्हें टेमीफ्लू-30 एमजी की दो-दो गोलियां दी जा रही है। स्टाफ की कमी के चलते फील्ड में भी सर्वे नहीं हो पा रहा है।
शहरी डिस्पेंसरियों में सीमित दवाएं : शहरी डिस्पेंसरियों में भी सीमित दवा हैं। वैशाली नगर डिस्पेंसरी में टेमीफ्लू-75 एमजी की 200 और 30 एमजी की सौ दवा उपलब्ध है। कस्तूरबा डिस्पेंसरी में 75 एमजी की 100 और 30 एमजी की 50 की गोलियां हैं।
'आरएमएससी को 28 जनवरी को दवाओं का ऑर्डर दे दिया गया था। अभी टेमीफ्लू-75 एमजी की एक हजार और टेमीफ्लू सीरप 35 शेष बचे हैं। 6 फरवरी तक दवा आ जाएगी। फिलहाल अलवर से दवाओं की कमी को पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं।' - डाॅ. मोहित देवल, प्रभारी अधिकारी, जिला औषधि भंडार
स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए सरकार की तैयारियों की शनिवार को भास्कर ने ग्राउंड रिअलिटी जांची तो हैरान कर देने वाली लापरवाहियां सामने आईं। जिले में स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए चिकित्सा महकमें की तैयारियां महज कागजी और जुबानी जमाखर्च से आगे नहीं बढ़ पाई हैं।
स्वाइन फ्लू का प्रकोप बढ़ने के बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने जिले में इनफ्लूएंजा ए (एच-1 एन-1) रोग की रोकथाम उपचार एवं नियंत्रण के लिए हाई अलर्ट जारी किया। इस रोग की रोकथाम के लिए गाइड लाइन भी जारी की, लेकिन व्यवस्थाएं कागजी ही नजर आ रही हैं। रेपिड रेस्पॉन्स टीम भी कागजों में ही है।
टेमीफ्लू-75 एमजी और टेमीफ्लू सीरप खत्म होने के कगार पर
सरकार जहां एक ओर स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए दवा सप्लाई के दावे कर
रही हैं वहीं जिला औषधि केंद्र में स्वाइन फ्लू रोगी के लिए पर्याप्त
दवाएं ही नहीं हैं। टेमीफ्लू-75 एमजी की अब मात्र एक हजार टेबलेट्स और
टेमीफ्लू सीरप की मात्र 35 बोतलें ही बची हैं। 28 जनवरी को आरएमअारएससी को
ऑर्डर देने के बाद भी अब तक उक्त दवाअों की सप्लाई नहीं मिली है।
प्रतिदिन सात से आठ मरीज
जेएलएन अस्पताल में स्वाइन फ्लू संदिग्ध प्रतिदिन सात से आठ मरीज आते
हैं। अस्पताल में माकूल इंतजाम किए गए हैं। 40 पलंग के आइसोलेशन वार्ड में
15 स्वाइन फ्लू पॉजीटिव का उपचार जारी है।
आगे की स्लाइड में पढ़ें सेटेलाइट में नहीं हो रहे सैंपल कलेक्शन
सेटेलाइट में नहीं हो रहे सैंपल कलेक्शन
जिला स्तरीय सेटेलाइट अस्पताल में ही गाइड लाइन की पालना नहीं हो रही है। अस्पताल में लंबे समय से फिजीशियन ही नहीं है। चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ के कई पद रिक्त हैं। सरकार को कई बार अवगत करवाने के बाद भी रिक्त पदों पर भर्ती नहीं हुई है। स्टाफ की कमी के चलते जनरल वार्ड का भी संचालन नहीं हो पा रहा है। अस्पताल 24 घंटे खुलने के बजाय सुबह और शाम को ही खुल रहा है। जबकि चिकित्सा विभाग के दिशा-निर्देश में 24 घंटे सैंपल कलेक्शन के निर्देश जारी किए गए थे। दिन भर में एक भी सेम्पल नहीं लिए जा रहे हैं। यहां आने वाले मरीजों को जेएलएन अस्पताल भेजा जा रहा है। अस्पताल प्रभारी डॉ. बीडी हेड़ा ने बताया कि स्टाफ की कमी के चलते 24 घंटे मरीजों को सुविधा देना संभव नहीं है।
जिला स्तरीय सेटेलाइट अस्पताल में ही गाइड लाइन की पालना नहीं हो रही है। अस्पताल में लंबे समय से फिजीशियन ही नहीं है। चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ के कई पद रिक्त हैं। सरकार को कई बार अवगत करवाने के बाद भी रिक्त पदों पर भर्ती नहीं हुई है। स्टाफ की कमी के चलते जनरल वार्ड का भी संचालन नहीं हो पा रहा है। अस्पताल 24 घंटे खुलने के बजाय सुबह और शाम को ही खुल रहा है। जबकि चिकित्सा विभाग के दिशा-निर्देश में 24 घंटे सैंपल कलेक्शन के निर्देश जारी किए गए थे। दिन भर में एक भी सेम्पल नहीं लिए जा रहे हैं। यहां आने वाले मरीजों को जेएलएन अस्पताल भेजा जा रहा है। अस्पताल प्रभारी डॉ. बीडी हेड़ा ने बताया कि स्टाफ की कमी के चलते 24 घंटे मरीजों को सुविधा देना संभव नहीं है।
टेमीफ्लू-75 एमजी ही नहीं हैं अस्पताल में: सेटेलाइट अस्पताल में वयस्क स्वाइन फ्लू रोगी और छोटे बच्चों के लिए टेमीफ्लू
टेबलेट व सीरप ही नहीं है। डॉ. हेड़ा ने बताया कि जिन मरीजों को टेमीफ्लू-75 एमजी देनी होती है उन्हें टेमीफ्लू-30 एमजी की दो-दो गोलियां दी जा रही है। स्टाफ की कमी के चलते फील्ड में भी सर्वे नहीं हो पा रहा है।
तीन पॉजीटिव रोगी भर्ती
सीएमएचओ डॉ. राजेश खत्री ने बताया कि शनिवार को तीन स्वाइन फ्लू रोगी
सामने आए हैं। जिनका जेएलएन अस्पताल में उपचार जारी है। धोलाभाटा, केकड़ी
और बिजयनगर निवासी तीन रोगियों की रिपोर्ट पॉजीटिव आने के बाद क्षेत्र में
सर्वे टीम रवाना कर दी गई है। मरीजों के संपर्क में आने वालों को टेमीफ्लू
दी जा रही है। उल्लेखनीय है 17 जनवरी से अब तक 22 राेगी आए हैं। जिनमें से
18 पॉजीटिव हैं। चार रोगियों की मौत हो चुकी है।
शहरी डिस्पेंसरियों में सीमित दवाएं : शहरी डिस्पेंसरियों में भी सीमित दवा हैं। वैशाली नगर डिस्पेंसरी में टेमीफ्लू-75 एमजी की 200 और 30 एमजी की सौ दवा उपलब्ध है। कस्तूरबा डिस्पेंसरी में 75 एमजी की 100 और 30 एमजी की 50 की गोलियां हैं।
'स्वाइन फ्लू को लेकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग गंभीर है। सभी
चिकित्सा प्रभारियों को दवाओं का पर्याप्त स्टॉक रखने के निर्देश दिए गए
हैं। विभाग के पास जितना स्टाफ है उससे ही क्षेत्र का सर्वे करवाया जा रहा
है।' - डॉ. राजेश खत्री, सीएमएचओ
'आरएमएससी को 28 जनवरी को दवाओं का ऑर्डर दे दिया गया था। अभी टेमीफ्लू-75 एमजी की एक हजार और टेमीफ्लू सीरप 35 शेष बचे हैं। 6 फरवरी तक दवा आ जाएगी। फिलहाल अलवर से दवाओं की कमी को पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं।' - डाॅ. मोहित देवल, प्रभारी अधिकारी, जिला औषधि भंडार
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