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Friday 13 January 2012

मंत्री और कलेक्टर आमने-सामने
अजमेर में किस का निजाम चलेगा और खास तौर पर शिक्षा विभाग में। ये सवाल है जो इन दिनों अजमेर के हर वाशिन्दे और खास तौर पर शिक्षा विभाग के उन कर्मचारियों की जुबान पर है। सभी इस बात को मानते हैं कि लगातार गिर रहे पारे ने लोगों का घर से बाहर निकलना मुहाल कर दिया है और ऐसी स्थिति में उन मासूम बच्चों का हास समझा जा सकता है, जिन्हें सवेरे तैयार होकर स्कूल की राह पकडऩी पड़ती है।
सभी इस बात को मानते है कि इस भरी सर्दी में बच्चों का स्कूल जाना मुमकीन नहीं। यह बात शिक्षा राज्यमंत्री नसीम अख्तर इंसाफ को भी अभिभावकों और शिक्षा संगठनों ने कही।
लोगों को आशा थी कि बच्चों को मंत्री की पहल पर राहत जरुर मिलेगी। इंसाफ को भी इस बात का गुमान था कि उनकी बात को टालना जिला कलेक्टर के लिए आसान नहीं होगा। शायद यही वजह रही कि इंसाफ ने जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर अजमेर शहर में प्राथमिक स्कूलों की छुट्टी कर दिये जाने की अनुशंषा कर दी, यह बात अलग रही कि जिला कलेक्टर ने मंत्री की अनुशंषा को टके का भाव नहीं दिया।
जिला कलेक्टर ने स्पष्ट कहा कि बच्चों को राहत देने के लिए पूर्व में ही स्कूल के समय में परिवर्तन कर दिया है, ऐसे में छुट्टी का कोई औचित्य न•ार नहीं आता।
बड़ी बात यह है कि नसीम अख्तर की बात को पुख्ता करने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक मंजू दाधीच ने भी छुट्टी के सम्बन्ध में एक अनुशंषा पत्र जिला कलेक्टर को भिजवा दिया। किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि जिला कलेक्टर इस तरह से मंत्री के आदेशों को रद्दी की टोकरी दिखा देंगी। सर्दी का प्रकोप लगातार बढ़ता ही जा रहा है। अभिभावक अपने बच्चों की सेहत को लेकर चिन्ताग्रस्त हैं।
जाहिर तौर पर हाथियों की लड़ाई में घास पिस रही है। लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर क्यों ? अहम की इस लड़ाई मनें बच्चों को निशाना बनाया जा रहा है।

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