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Monday, 9 January 2012


अद्भुत व भव्य होगा
श्री 1008 आदिनाथ दिगम्बर जिनबिम्ब पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव
 
नया साल अजमेर में दिगम्बर जैन धर्मावलम्बियों के लिए अद्भुत होगा। क्योंकि 30 जनवरी से 5 फरवरी तक यहां भव्य पंच-कल्याण महोत्सव आयोजित होगा। धर्म प्रभावना होगी-भक्ति होगी।
अपने लिए घर बनाना, दुकान बनान, कोठियां बनवाना या अन्य कार्य जो स्वहित में हो सभी करते आए हैं पर ऐसे विरले कम ही होते हैं जो जनहित समाजहित में भी अपनी छाप छोड़ते हैं। ऐसे ही ख्यातनाम पूनमचन्द लुहाडिय़ा परिवार भी अनेकों में एक है जिनका पहले से ही पुरानी मंडी में एक श्री सीमन्धर जिनालय के नाम से एक विशाल मंदिर है जो वीतराग विज्ञान स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट के अन्तर्गत है इन्हीं लुहाडिय़ा परिवार की ओर से वैशाली नगर में नए भव्य जिन मंदिर जी का निर्माण आसपास के क्षेत्रों में बसे जैन बंधुओं के दर्शनार्थ लाभ की दृष्टि से बनवाया गया है। धन्य है पूनमचन्द लुहाडिय़ा परिवार जो स्व:हित को तज जनहित धर्महित में लीन है। ऐसे भव्य पुरूष को लाख-लाख साधुवाद।
अभी हाल ही में नवनिर्मित श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर का जिनबिम्ब पंचकल्याणक महोत्सव की आमंत्रण पत्रिका का विमोचन ऋषभायतन अध्यात्मधाम परिसर वैशाली नगर में 21 दिसम्बर को प्रात: जिनेन्द्र प्रक्षाल पूजन एवं शास्त्र प्रवचन पश्चात् हुआ।
 
समारोह में मुख्य अतिथि ओ. पी. जैन आयकर आयुक्त, मित्तल अस्पताल के सी. ओ. एस. के. जैन  और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के विशेषाधिकारी प्रकाश चन्द जैन विशिष्ट अतिथि व समारोह के अध्यक्ष पद पर प्रमोद सोनी अपनी गरिमा बनाये बैठे थे।
 
पत्रिका का विमोचन किशनगढ़ के भूतपूर्व नगरपालिका अध्यक्ष एवं सामाजिक कार्यकत्र्ता प्रदीप चौधरी ने किया। ज्ञात रहे ये वे ही प्रदीप चौधरी है जिन्होंने अभी साल दो साल पहले किशनगढ़ में वीतराग मंदिर का निर्माण कराया पर अफसोस रहा कि इस भव्य पुण्य की भागेदारी में समाज ने बहिष्कार किया। पर धर्मायतन लोगों के कहां फर्क पडऩे वाला। जिन चौधरी परिवार ने मंदिर का निर्माण कराया वो किशनगढ़ की जनता के लिए ही था पर समाज की फूट उस वक्त खुलकर सामने आई। ये उद्गार अपने भाषण में चौधरी ने अजमेर में कहे व अजमेर की जनता से कहा कि वे इस पुण्य की भागीदारी में अपनी सम्पूर्ण निष्ठा के साथ धर्मलाभ लें व सहयोग करें।

इस पंचकल्याणक महोत्सव में मंदिरजी में मुख्य वेदी में भगवान आदिनाथ की पद्मासन व अन्य दोनों वेदियों में भगवान बाहुबलि व भगवान भरत की 61 इंची खडगासन मूर्तियां विराजित की जायेगी। प्रथम तल पर उत्तंग शिखरों का निर्माण एवं नंदीश्वर जिनालयों की प्रतिकृति स्वरूप 52 लघु शिखरों का निर्माण किया गया है। आदिनाथ भगवान का मानस्तम्भ एवं प्राचीन आचार्यों के चरण एवं जिनवाणी विराजमान करने हेतु 6 लघु वेदियां भी बनाई गई हैं।
ज्ञात रहे श्री ऋषभायतन अध्यात्धाम मंदिर का शिलान्यास समारोह 18 जुलाई 2008 शुक्रवार को किया गया था। भूतल पर श्री कुन्दकुन्द परमागम स्वाध्याय भवन व श्री वीतराग विज्ञान पाठशाला भवन का निर्माण भी किया गया है।

21 दिसम्बर को विमोचन कार्यक्रम में भगवान की मूर्ति प्रदाता भेंटकत्र्ता पूनमचन्द लुहाडिय़ा परिवार, विमलचंद जैन नीरू केमीकल्स दिल्ली एवं जिनेन्द्र कुमार सेठी इन्दौर का स्वागत किया गया। अन्य भगवान की मूर्तियों के प्रदाता छीतरमल, अशोक कुमार, संजय बाकलीवाल परिवार पीसांगन एवं प्रो. उमरावमल, प्रवीण गंगवाल परिवार अजमेर भी इस पुण्य की भागीदारी में शामिल हैं इनका भी स्थानीय समाज द्वारा सम्मान किया गया। इसमें विभिन्न उद्घाटन, ध्वजारोहण कत्र्ता, महोत्सव में भाग लेने वाले इन्द्र इन्द्राणी, राजा-रानी एवं सौभाग्यशाली पात्रों का सम्मान किया गया।
सम्पूर्ण कार्यक्रम विधि विधान सहित प्रतिष्ठाचार्य पं. जतीशचन्द्र शास्त्री दिल्ली एवं सह प्रतिष्ठाचार्य अश्विन शास्त्री ने किया।

समारोह में समाज के स्थानीय धड़ों के पदाधिकारी सहित पुखराज पहाडिय़ा, विनयचंद सोगानी, मनोज कासलीवाल, राजेन्द्र गदिया, प्रकाशचन्द पांड्या, प्रवीण गदिया, माणकचन्द गदिया, त्रिलोकचन्द सोनी, प्रचार संयोजक अकलेश जैन सहित समाज के प्रबुद्ध लोग, पत्रकार, गणमान्य लोग, महिलाएं भारी तादाद में मौजूद थे। समारोह का कुशल संयोजन प्रो. सुशील पाटनी ''शील  ने किया।
अंत में पूनमचन्द लुहाडिय़ा व परिवार ने समाज से विनम्र आग्रह किया कि वे इस पंचकल्याणक महोत्सव में शामिल हो समारोह की शोभा बढ़ायें।

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