सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की पवित्र दरगाह पूरी दुनिया में नेक नियति, ईलम और सद्भावना की ज्योत जगाती है और यही कारण है कि हर वर्ष लाखों लोग इस मुकद्दस मुकाम पर सर झुकाने खिचें चले आते हैं। इस बात में दो राय नहीं कि अजमेर के वाशिन्दे ख्वाजा के दर पर आने वाले जायरीन को मेहमान मानते हैं, मगर फिर भी इस दर से लौटने वाले खुश होकर नहीं जाते। इसके पीछे की खास वजह है यहां अपनी पैठ बना चुके नशाखोर, भिखारी और जेबकतरे, जिनके लिए हमारे मेहमान महज एक शिकार है। दरगाह थाना पुलिस को हर माह दर्जनों जेबतराशी और बदसलूकी की शिकायतें मिलती है। सूत्रों की बात पर यकीन करें तो सैकड़ों ऐसे जायरीन भी होते हैं जो माल और इज्जत गवाने के बाद शिकायत करने से बेहतर घर चले जाना समझते हैं।

शहर का हर बाशिन्दा इस बात से परिचित है कि दरगाह इलाके में नशे का कारोबार जड़े जमा चुका है। यहां नशा ही अपराधों की सबसे बड़ी वजह है। इस बात की शिकायत खादिमों की संस्था अन्जुमन सैयद जादगान सहित अनेक संगठनों ने दरगाह थाना अधिकारी से लेकर गृहमंत्री और मुख्यमंत्री तक से अनेक बार की, मगर राज्य सरकार ने कोई पुख्ता एक्शन प्लॉन बनाने के बजाय हर बार केवल फौरी कार्यवाही कर अपने कर्तव्य से इतिश्री कर ली।
अब शायद सही समय आ गया है जब राज्य सरकार को यहां पर्यटक पुलिस का विशेष दल गठितकर तैनात कर देना चाहिए, जो पर्यटकों के मार्गदर्शन के साथ ही उनकी सुरक्षा को भी पुख्ता कर पाएं। सही सोच और मजबूत इच्छाशक्ति के साथ यदि ऐसा किया गया तो हो सकता है कि हम यहां आने वाले देशी-विदेशी जायरीन के मध्य एक अच्छा संदेश दे पाएं।
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