welcome

ajmer voice me aapka swagat hai

Thursday 9 February 2012

क्या...... इस साल तबाह होगी दुनिया!

पिछले कुछ समय से दुनिया खत्म होने के दिन और तबाही के अलग-अलग कारणों को लेकर अनेक दावे और अनुमान सामने आते रहे हैं। इसी कड़ी में दुनिया की पुरानी सभ्यताओं में एक माया सभ्यता की कालगणना के मुताबिक  साल 2012 भी दुनिया के विनाश की आखिरी घड़ी है। दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में कुदरती घटनाओं से होने वाली तबाही ऐसी बातों को और बल देती है कि क्या वाकई इस साल दुनिया का विनाश हो जाएगा?
दरअसल, ये बातें मन में दहशत, अनिश्चितता, अविश्वास और संदेह ज्यादा पैदा करती है। जबकि इन दावों का पुख्ता आधार नहीं है। इसलिए इस वर्ष या निकट भविष्य में दुनिया की तबाही का कोई दिन निश्चित नहीं कहा जा सकता।

इस संबंध में हिन्दू धर्मग्रंथ श्रीमद्भागवद् में लिखी प्रलय के दौरान होने वाली घटनाएं व हालात भी इन दावों को कमजोर साबित करते है। आप स्वयं भी श्रीमद्भागवत महापुराण में प्रलय से जुड़ी बातों का सार पढ़ अंदाजा लगा सकते हैं कि विनाश के दावों में कितना सच है?

प्रलय का वक्त आने पर सौ साल तक बारिश नहीं होती। अन्न और पानी न होने से अकाल पड़ जाता है। सूर्य की भीषण गर्मी समुद्र, प्राणियों और पृथ्वी का रस सोख लेती है। इसे ही प्रतीक रूप में संकषर्ण भगवान के मुंह से निकलने वाली आग की लपटें बताया गया है। हवा के कारण यह आकाश से लेकर पाताल तक फैलती हैं। 

इस प्रचण्ड ताप और गर्मी से पृथ्वी सहित पूरा ब्रह्माण्ड ही दहकने लगता है। इसके बाद गर्म हवा अनेक सालों तक चलती है। पूरे आसमान में धुंआ और धूल छा जाते हैं। जिसके बाद बने बादल आकाश में मण्डराते हुए फट पड़ते हैं। कई सालों तक भारी बारिश होती है।

इससे ब्रह्माण्ड में समाया सारा संसार जल में डूब जाता है। इस तरह पृथ्वी के गुण, गंध जल में मिल जाते हैं और पृथ्वी तबाह हो जाती है और अंत में जल में ही मिलकर जल रूप हो जाती है।

इस तरह जल, पृथ्वी सहित पंचभूत तत्व जो इस जगत का कारण माने गए हैं एक-दूसरे में समा जाते हैं और मात्र प्रकृति ही शेष रह जाती है।

No comments:

Post a Comment